दूनघाटी में प्रत्येक दिन कम हुई 40 लाख लीटर ऑक्सीजन, विकास परियोजनाओं के लिए हरे पेड़ों का कटान

दूनघाटी में प्रत्येक दिन 40 लाख लीटर ऑक्सीजन कम हुई। दून-दिल्ली एक्सप्रेसवे के लिए करीब 10 हजार पेड़ काटे गए। सहस्रधारा रोड के चौड़ीकरण में तीन हजार से अधिक पेड़ काटे गए।

विकास परियोजनाओं के लिए हरे पेड़ों की कटान से दूनघाटी में हर रोज कितनी ऑक्सीजन कम हुई है, इसका कभी आपने अंदाजा लगाया है? शायद नहीं। ऑक्सीजन में कमी को निश्चित तौर पर तो नहीं माप सकते, लेकिन एक हरे पेड़ से हर रोज निकलने वाली ऑक्सीजन के अनुसार 15 हजार से अधिक वृक्षों के कटान से दून के वायुमंडल को प्रतिदिन 40 लाख लीटर ऑक्सीजन का नुकसान हुआ है।  

दरअसल, दून में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए करीब 15 हजार से अधिक पेड़ों को काटा जा चुका है। दून-दिल्ली एक्सप्रेसवे के लिए करीब 10 हजार पेड़ काटे गए। सहस्रधारा रोड के चौड़ीकरण में तीन हजार से अधिक पेड़ काटे गए। दून-पौंटा ग्रीन फील्ड हाईवे के लिए सात हजार व विकासनगर पौंटा हाईवे के लिए छह हजार पेड़ों का कटान चल रहा है।

भानियावाला-ऋषिकेश हाईवे के लिए करीब चार हजार पेड़ व रिस्पना बिंदाल एलिवेटेड रोड के लिए तीन हजार पेड़ों को काटा जाना है। अब तक 15 हजार से अधिक पेड़ कट चुके हैं। हजारों वयस्क पेड़ों का कटान प्रस्तावित है। एक हरा पेड़ प्रतिदिन औसतन 230 से 270 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है। इस लिहाज से प्रतिदिन दून की आबोहवा में 40 लाख लीटर ऑक्सीजन कम हो गई है।

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