उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने स्नातक स्तरीय परीक्षा में सभी 445 केंद्रों पर जैमर तो लगाए थे लेकिन तकनीकी तौर पर वे कमजोर थे।
स्नातक स्तरीय परीक्षा में 4-जी जैमर फेल होने के बाद इस बार आयोग की परीक्षा में 5-जी तकनीकी के जैमर ही लगेंगे। अमर उजाला ने 23 सितंबर के अंक में प्रमुख तौर पर यह मुद्दा उठाया था।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) ने स्नातक स्तरीय परीक्षा में सभी 445 केंद्रों पर जैमर तो लगाए थे लेकिन तकनीकी तौर पर वे कमजोर थे। 5-जी नेटवर्क जमाने में 4-जी जैमर लगाए गए थे, जो कि तकनीकी तौर पर नेटवर्क को जाम नहीं कर सकते। 4-जी नेटवर्क आमतौर पर 700 मेगाहर्ट्स, 1800 मेगाहर्ट्स, 2300 मेगाहर्ट्स बैंड पर काम करता है।
5-जी नेटवर्क इससे अलग और कहीं ज्यादा ऊंची फ्रीक्वेंसी बैंड (जैसे 3300 मेगाहर्ट्स, 3500 मेगाहर्ट्स, एमएम वेव : 24 गीगाहर्ट्स तक) पर काम करता है। जैमर एक तय फ्रीक्वेंसी रेंज को ही जाम करता है। इस कारण भी सवाल उठा था क्योंकि जिस परीक्षा केंद्र के कक्ष से पेपर बाहर आया था, वहां जैमर काम नहीं कर रहा था।
तीन बार चेक होंगे, सबकी रिपोर्ट लेगा आयोग
अब पांच अक्तूबर को होने वाली परीक्षा के बाद से सभी जैमर केवल 5-जी होंगे। आयोग ने बोर्ड बैठक में तय किया है कि जैमर उपलब्ध कराने वाली कंपनी ईसीआईएल इस बात का प्रमाण पत्र देगी कि सभी जैमर 5-जी हैं। परीक्षा केंद्र व्यवस्थापक, पर्यवेक्षक और सेक्टर मजिस्ट्रेट को लिखित में जैमर के काम करने संबंधी रिपोर्ट देनी होगी। जैमर केवल परीक्षा कक्ष ही नहीं बल्कि टॉयलेट, बाथरूम में भी काम करेंगे।