यौन अपराध; पॉक्सो पीड़ितों को भावनात्मक मदद के लिए मिलेंगे सहायक, हर जिले में बनेगा सहायकों का पैनल

राज्य के सभी जनपदों में पॉक्सो पीड़ित बच्चों को चिकित्सा और कानूनी सहायता दिलाने के लिए सहायकों का पैनल बनाया जा रहा है। पॉक्सो की ज्यादातर वारदात उन परिवारों के बच्चों के साथ होती है, जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं।

राज्य सरकार ने यौन अपराधों का शिकार होने वाले बच्चों को अस्पताल में इलाज कराने से लेकर अदालत की कार्यवाही पूरी होने तक भावनात्मक मदद के लिए सहायक उपलब्ध कराने का फैसला किया है।

महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि राज्य के सभी जनपदों में पॉक्सो पीड़ित बच्चों को चिकित्सा और कानूनी सहायता दिलाने के लिए सहायकों का पैनल बनाया जा रहा है। पॉक्सो की ज्यादातर वारदात उन परिवारों के बच्चों के साथ होती है, जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं। उनके अभिभावक जानकारी के अभाव में अस्पताल, पुलिस और अदालत की कार्यवाही में कठिनाई महसूस करते हैं।


वह पूरी प्रक्रिया में सक्रिय नहीं रह पाते या पर्याप्त समय नहीं दे पाते। इसलिए सरकार ने पॉक्सो पीड़ित सभी बच्चों को जिले की ओर से सहायक उपलब्ध कराने का फैसला किया है, जो चिकित्सा सुविधाएं दिलाने से लेकर पुलिस जांच और फिर अदालती कार्यवाही पूरी होने तक पीड़ित बच्चे का साथ देंगे। सहायकों की नियुक्ति के लिए जनपदों में विज्ञापन निकाले जा रहे हैं।

चार चरणों में मिलेगा मानदेय

विभाग की उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता ने बताया कि सहायक को चार चरणों में कुल 20 हजार रुपये का मानदेय दिया जाएगा। प्रथम चरण में नियुक्ति और रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर, दूसरे चरण में साक्ष्य दर्ज होने पर, तीसरे चरण में केस की मासिक रिपोर्ट देने पर और अंतिम चरण में अदालत का फैसला आने पर पांच-पांच हजार रुपयों का भुगतान किया जाएगा।

हर जिले में बनेगा पैनल, यह योग्यता होगी

हर जिले में सहायकों का पैनल बनाकर अलग-अलग केसों की जिम्मेदारी दी जाएगी, हालांकि प्रत्येक सहायक एक समय में अधिकतम पांच केस का संचालन कर सकेगा। सहायकों में उन युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जो गैर-राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता हों। उनके पास सामाजिक कार्य, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान या बाल विकास में स्नातकोत्तर डिग्री हो या फिर बाल शिक्षा व विकास में तीन वर्ष के अनुभव के साथ स्नातक डिग्री हो। पैनल का चयन जनपद स्तरीय चयन समिति करेगी, जिसकी अवधि तीन साल होगी। संतोषजनक सेवा के आधार पर उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। इस कार्य को पार्ट टाइम में कर सकेंगे।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की मॉडल गाइडलाइन्स को उत्तराखंड में अपनाते हुए सहायक व्यक्तियों की नियुक्ति की जा रही है, जो पीड़ित बच्चों को कानूनी प्रक्रिया, भावनात्मक समर्थन और पुनर्वास में मदद करेंगे।  -प्रशांत आर्य, निदेशक, महिला एवं बाल कल्याण विभाग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page