हरिद्वार में यहां दूर होता है सर्प दोष, नागराज तक्षक के सिद्ध मंदिर आइए – साक्षात विराजते हैं नागों के राजा तक्षक

हरिद्वार के ज्वालापुर में नाग देवता तक्षक का हजारों साल पुराना महाभारत कालीन मंदिर है। मंदिर की मान्यता है कि यहां साक्षात नागराज देवता तक्षक विराजमान हैं। लेकिन खास बात ये है कि यहां घूमने वाले सांपों ने आज तक किसी को डसा नहीं है। रविवार के दिन मंदिर में विशेष पूजा का महत्व है

गंगा नदी किनारे हरिद्वार में वैसे तो देवी देवताओं के कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर व सिद्धपीठ विद्यमान हैं. लेकिन हरिद्वार के ज्वालापुर में नागराज तक्षक का ऐसा हजारों साल पुराना मंदिर है, जहां नागराज देवता तक्षक साक्षात विराजमान रहते हैं। इतना ही नहीं, आज तक का इतिहास है कि यहां पर जगह जगह घूमने वाले सांपों ने किसी को डसा नहीं है। बीते कई 100 सालों से न केवल यहां के बल्कि, दूर-दूर के लोग मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं।

हरिद्वार का ज्वालापुर क्षेत्र वैसे तो यहां के पंडा समाज के लिए जाना जाता है। लेकिन ज्वालापुर के बाहरी इलाके में स्थित हजारों साल पुराना तक्षक देवता का मंदिर है। कहा जाता है कि नागों के देवता तक्षक इसी इलाके में रहकर लोगों की रक्षा करते हैं। इस स्थान की महत्ता महाभारत काल से बताई जाती है। कहा जाता है तभी से यह स्थान नागराज तक्षक का स्थान है। यहां स्थित नाग देवता का मंदिर की महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस समय नवरत्न संस्थानों में शुमार औद्योगिक नगरी भेल की स्थापना हो रही थी, उस समय नाग देवता का यह मंदिर भी भेल के अधीन आ रहा था।

भेल के अधिकारी को नागराज तक्षक ने स्वप्न में दर्शन दिए और सख्त हिदायत दी कि यदि उनके मंदिर क्षेत्र में एक भी फावड़ा चला तो वह इस निर्माणाधीन इकाई को तहस-नहस कर देंगे। इसके बाद भारत सरकार ने भी इस मंदिर क्षेत्र को भेल कैंपस से अलग करने का बड़ा निर्णय लिया। आज भी भले यह भूमि भेल इकाई के अंतर्गत आती हो लेकिन, यहां पर किसी तरह का कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया है। बताया जाता है कि प्रत्येक पूर्णिमा की रात को यहां पर नाग देवता कभी जोड़े के साथ तो कभी अकेले दर्शन देने आते हैं।

महाभारत काल का है यह स्थान: बागों वाला देवता का यह स्थान महाभारत का बताया जाता है. तक्षक नाग का यह वर्णन परीक्षित काल का है. जब राजा युधिष्ठिर परीक्षित को संपूर्ण राज पाट सौंपकर चले गए तब परीक्षित को तक्षक नाग ने डस लिया। तभी से तक्षक नाग अपने स्वरूप में इसी स्थान पर विद्यमान हैं।

भेल अधिकारी को स्वप्न में दिए थे दर्शन: 1962 के दौरान जब भेल रानीपुर इकाई की स्थापना हो रही थी, उस समय भेल के आला अधिकारियों को नाग देवता तक्षक ने स्वप्न में दर्शन दिए। इस दर्शन के दौरान तक्षक काफी क्रोध में थे और उन्होंने अधिकारियों को साफ कहा कि यदि इस स्थान पर एक भी कुदाल चली तो भेल का सर्वनाश कर दूंगा। इसके बाद यहां अधिकारी आए और इस स्थान में भेल ने कोई निर्माण कार्य नहीं कराया।

सर्प दोष का होता है निवारण: आम तौर पर कालसर्प दोष को लेकर लोग काफी भयभीत रहते हैं. लोगों के इसी भय का फायदा उठाकर कुछ लोग इसके निवारण की बात करते हैं। लेकिन कहा जाता है कि जिनकी जन्मपत्री के अंदर कालसर्प नहीं बल्कि सर्प दोष (संतान नहीं है, घर में गृह क्लेश) होता है तो यहां पर आकर मान्यता बोलकर जाइए। जब मान्यता पूरी हो तो यहां पर दूध, गंगाजल चढ़ाने के साथ मनुष्य को भोजन कराइए तो आपकी मनोकामना का संकल्प पूरा होगा।

पूर्णिमा की रात होते हैं दर्शन: कहा जाता है कि इस बागों वाले देवता के क्षेत्र में प्रत्येक पूर्णिमा को यदि कोई जाता है तो उसे नागों के जोड़े के दर्शन होते हैं। बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें सिर्फ नाग नजर आता है या फिर नागिन।

किसी को नहीं डसते सर्प: सैकड़ों साल पुराने इस नाग देवता के मंदिर में भले अब सांप कम नजर आते हैं, लेकिन एक समय था जब यहां पर सांप ही सांप नजर आते थे। इस क्षेत्र का इतिहास रहा है कि यहां पर आज तक कभी किसी सांप ने किसी भी मनुष्य को नहीं डसा है। इतना ही नहीं, यहां रहने वाले पुजारी के शरीर को छूकर अक्सर सांप बिना कुछ किए निकल जाते हैं. इस स्थान पर वह व्यक्ति प्रवेश ही नहीं कर सकता, जिसके मन में पाप है।

देवताओं का निवास स्थानः घने बाग के बीच स्थित बागों वाले देवता के मंदिर में स्थानीय लोगों की इतनी आस्था और श्रद्धा है कि यहां पर न केवल ब्राह्मण बल्कि प्रत्येक जाति के लोगों का प्रवेश खुला हुआ है। यहां पर किसी भी जाति का कोई भी व्यक्ति आकर देवता की पूजा कर सकता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों द्वारा अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार माढ़ी (घरों के रूप में मंदिर) की स्थापना की गई है।

सात दिन तक भागवत सुनने का विशेष महत्व: इस इलाके की विशेष मान्यता यह है जो भी व्यक्ति 7 दिन तक यहां पर भागवत कथा का आयोजन कराता है और भागवत में वर्णित तक्षक नाग के वर्णन को बैठकर सुनता है तो उसके मन की प्रत्येक मनोकामना ना केवल पूर्ण होती है, बल्कि किसी भी तरह के घर में चल रहे क्लेश से भी मुक्ति मिलती है।

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