सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास कर रहे हैं अश्लीलता बढ़ाने वाले ऐप
बहुसंख्यक समाज की माताओं बहनो को बनाया जा रहा शिकार
देहरादून। आखिरकार उत्तराखंड को चारित्रिक रूप से पतित करने वाले ऐप पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है जिसके कारण समाज में चारित्रिक पतन की स्थितियां लगातार बढ़ रही है। इन ऐप के कार्यकर्ताओं द्वारा जो अधिकांश रूप से अल्पसंख्यक समाज के हैं के द्वारा हिन्दू समाज की महिलाओं को अपने झांसे में लिया जा रहा है, इसके लिए उनके द्वारा हिन्दू समाज की कुछ लड़कियों, महिलाओं को हथियार बनाया जा रहा है उन्हें इस प्रकार के ऐप के झांसे में लेकर चारित्रिक रूप से पतित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री सेल समेत तमाम आईटी से जुड़े क्षेत्रों में की गई है लेकिन अब भी जिम्मेदार लोग एक दूसरे पर जवाबदेही ठोक कर कार्यवाही से पल्ला झाड़ रहे हैं।
वर्तमान संदर्भ में देखा जाए तो भारत की संस्कृति पर सबसे बड़ा खतरा इन ऐप के माध्यम से हो रहा है। आनलाइन डेटिंग ऐप जैसे मंच से 99 प्रतिशत विवाहित और कई बच्चों की माताओं को भी जोड़ा गया है। मातृ एक से दो प्रतिशत अविाहित युवतियां इसमें काम कर रही है। यह घरेलू महिलाएं अर्थ के लालच में और लोगों को इस धंधे में धकेलने का काम कर रही है। इस ऐप के माध्यम से अल्पसंख्यक समाज के लोग हिन्दू नाम से कार्यवाहियों को संचालित कर रहे हैं। विदेशों से संचालित होने वाले चारित्रिक रूप से पतित करने वाले इन आनलाइन ऐप में टेंगो, चिंगारी, चमेट, क्वेक-क्वेक, ओनली फैंस जैसे एक दर्जन ऐप हैं जो इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। इनसे जुड़े दलाल जिन्हें एजेंट कहा जाता है भारत में रहकर यहीं की महिलाओं को बरगलाने का काम कर है जिससे सामाजिक ताना बाना छिन्न-भिन्न हो रहा है। इस अव्यवस्था का दुष्परिणाम यह हो रहा है कि इन तमाम ऐप के माध्यम से विशेष समुदाय के लोग जिन्हें एजेंट कहा जाता है छोटी-छोटी एजेंसियां बनाकर बहुसंख्यक समाज की महिलाओं को अपना शिकार बना रहा है और टेंगो ऐप पर फंसाने, अश्लील हरकत करने के लिए आनलाइन पैसे का भुगतान करने का कार्य कर रहे हैं। इनमें इंडिया साइलेंट वर्ल्ड, इंडिया यूनिक वर्ल्ड, जाट यूएसए वाला, इंडिया वेंटर्न्स फैमिली जैसे संगठन इस दिशा में पूरी तरह कार्य कर रहे हैं और बहुसंख्यक समाज की महिलाओं, बेटियों को अपने जाल में फंसाने का काम कर रहे है जिससे समाजिक पतन को बढ़ावा मिल रहा है। घर बैठे कमाने के नाम पर जिस तरह यह एजेसियां लोगों को कामुकता का शिकार बनाकर फंसा रही है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इन एजेंसियों द्वारा महिलाओं को अर्थ कमाने के लिए पे्ररित करने के माध्यम से चारित्रिक रूप से पतित किया जा रहा है। इनकी व्यवस्था और कुछ क्षेत्रों से प्राप्त जानकारियों में देखा जाए तो बड़े पैमाने पर देश एवं पवित्र देवभूमि उत्तराखंड की शादी शुदा महिलाओं, माताओं एवं नाबालिक महिलाओं को वेश्यावृति एवं नग्न फिल्मों और पोर्न फिल्मों के जाल में फंसाने का प्रयास हो रहा है। यह एजेंट कुछ महिलाओं एवं लड़कियों को दूसरी लड़कियों को फसाने और उन्हें दूसरे राज्यों के लोगों के सामने परोसने को तैयार करने के लिए काफी धन दे रहे हैं और खुद भी काफी धन कमा रहे हैं, यह आनलाइन बहुत कम धन जैसे 100 रुपए , 50 रुपए , 20 रुपए ट्रंासफर करते हैं। सारा पैसा नकद लेते देते हैं ताकि बैंक खातों के माध्यम से लेन-देन करके इनके पकड़े जाने का कोई अवसर न रहे। इतना ही नहीं इस तरह के प्रयास करने वाले एजेंट अपनी शिकार महिलाओं को और छोटी नाबालिक बालिकाएं अपनी बहनों या मां को पैसा देने के लिए उनके रिश्तेदारों का उपयोग कर रहे हैं। कई बार ऐसी महिलाएं भी अपने रिश्तेदारों के खातें में पैसा मंगवा रहे हैं जो आनलाइन लिया जा रहा है।
सूत्रों की माने तो इन महिलाओं को अन्य महिालाओं को झांसे में लेने और जाल में फंसाने के लिए अलग राशि दी जा सकती है और उनसे कहा जाता है कि कम से कम पांच से 25 महिलाओं को इस जाल में फंसाने की एवज में अलग से राशि देते हैं जिसके कारण इनका कारोबार दिन दूना रात चौगुना पनप रहा है। घर बैठे अंग प्रदर्शन को बढ़ावा देने के नाम पर आर्थिक मदद करने वाली इन एजेंसियों पर अंकुश न लगाया गया तो सामाजिक पतन को रोका जाना संभव नहीं होगा जो भारतीय समाज के लिए बहुत बड़ा दुखदायी होगा।