मैकेंजी ग्लोबल की अध्ययन रिपोर्ट से खुलासा, उत्तराखंड में 2032 तक दोगुनी हो जाएगी बिजली की मांग

प्रमुख सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने प्रदेश में बिजली की वर्तमान मांग, उपलब्धता और भविष्य की जरूरतों को लेकर अध्ययन की जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय परामर्शदाता कंपनी मैकेंजी ग्लोबल को सौंपी थी।

उत्तराखंड में अगले सात साल के भीतर बिजली की मांग करीब दोगुनी हो जाएगी। अंतरराष्ट्रीय परामर्शदाता कंपनी मैकेंजी ग्लोबल ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। इसी आधार पर अब शासन और यूपीसीएल के स्तर से बिजली उपलब्धता की योजना बनाई जा रही है।

प्रमुख सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने प्रदेश में बिजली की वर्तमान मांग, उपलब्धता और भविष्य की जरूरतों को लेकर अध्ययन की जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय परामर्शदाता कंपनी मैकेंजी ग्लोबल को सौंपी थी। कंपनी ने यूपीसीएल और अन्य ऊर्जा निगमों के अलावा कई राज्यों का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है। वहीं, केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईए) भी मान चुका है कि उत्तराखंड में बिजली की मांग करीब दोगुना बढ़ने वाली है।

मांग के पुराने आंकड़े देखें तो वर्ष 2019 में 2216 मेगावाट, 2020 में 2233 मेगावाट, 2021 में 2372 मेगावाट, 2022 में 2468 मेगावाट, 2023 में 2594 मेगावाट, 2024 में 2635 मेगावाट और इस साल 2863 मेगावाट बिजली की मांग रही है। मैकेंजी ने माना है कि इसी क्रम में यह मांग लगातार बढ़ती जाएगी। अब इसके सापेक्ष उपलब्धता ही सरकार और यूपीसीएल के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

2026 से 2032 तक ये है बिजली की मांग का गणित

वर्ष-     सीईए-  मैकेंजी-  मान्य अनुमानित
2026- 3072-  3124-    3035
2027- 3249-  3402-    3217
2028- 3435-  3664-    3410
2029- 3623-  3922-    3614
2030- 3847-  4105-    3831
2031- 4094-  4255-    4004
2032- 4159-  4403-     4184
(बिजली की मांग मेगावाट में)


अभी 3308 मेगावाट के पीपीए

यूपीसीएल के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो अभी तक 3308 मेगावाट के पीपीए किए हुए हैं। इनमें कोयला संयंत्र से 533 मेगावाट, एटॉमिक 46 मेगावाट, गैस आधाारित 390 मेगावाट, बायोमास से 52 मेगावाट, हाइड्रो से 1970 मेगावाट, हाइब्रिड 100 मेगावाट और सोलर से 217 मेगावाट शामिल है। वहीं, टीएचडीसी के पंप स्टोरेज प्लांट से 200 मेगावाट बिजली मिलेगी। वर्ष 2029-30 तक बिजली की उपलब्धता 4218 मेगावाट करने की योजना है। इसके लिए कोयला आधारित संयंत्र से 26 मेगावाट, हाइड्रो से 438 मेगावाट, सोलर से 309 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता की जाएगी।

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