सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं। हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं। वट सावित्री व्रत इस बार 6 जून, गुरुवार के दिन रखा जाएगा।
इस दिन भगवान विष्णु और वट वृक्ष की पूजा करने से ना सिर्फ पति को दीर्घायु मिलती है, बल्कि घर में सुख-संपन्नता भी बढ़ती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस बार वट सावित्री पर शनि जयंती का शुभ संयोग बन रहा है
वट सावित्री व्रत तिथि –
अमावस्या तिथि का प्रारंभ 05 जून की शाम को 07 बजकर 54से
इसका समापन 6 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगी। इस कारण वट सावित्री 6 जून को ही मनाई जाएगी।
पूजा का अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा
वट सावित्री व्रत पूजा-विधि-
- इस दिन सुहागिन महिलाएं प्रात: जल्दी उठें और स्नान करें।
- स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। शृंगार जरूर करें।
- वट सावित्री व्रत को करने के लिए प्रात काल स्नान कर वट वृक्ष के नीचे सावित्री सत्यवान और यमराज की मूर्ति स्थापित करें
- यदि आप मूर्ति नहीं रख पाते हैं, तो आप इनकी पूजा मानसिक रूप से भी कर सकते हैं.
- वट वृक्ष की जड़ में जल डालें, फूल, धूप और मिठाई से वट वृक्ष की पूजा करें.
- कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए इसके तने में सूत लपेटते जाएं.
- सात बात परिक्रमा करना अच्छा माना जाता है. इसके अलावा हाथ में भीगा चना लेकर सावित्री सत्यवान की कथा सुनें.
- फिर यह भीगा चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देखकर उनसे आशीर्वाद लें.
- वट वृक्ष की कोपल खाकर उपवास समाप्त कर सकते हैं. कथा सुनने के बाद पंडित जी को दान देना न भूलें।
- दान में आप वस्त्र, पैसे और चने दें।
- वट सावित्री व्रत का महत्व-
वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा भी बहुत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि सावित्री ने भी अपने पति सत्यवान के प्राण बचाने के लिए इसी पेड़ के नीचे यमराज की उपासना की थी। सावित्री के तप और व्रत से प्रसन्न होकर यमराज ने बरगद के पेड़ के नीचे ही उनके पति सत्यवान के प्राण लौटाए थे। इतना ही नहीं माता सावित्री को 100 पुत्रों का आशीर्वाद भी मिला था। कहा जाता है कि यमराज ने सावित्री को यह वरदान भी दिया था कि जो भी सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की उपासन करेगा उसे अखंड सौभाग्यवती और पुत्रवती का आशीर्वाद मिलेगा।